1) ग्राहक पर सबसे पहले रिसेप्शन की जगह का प्रभाव पड़ता है। सज्जा अच्छी होनी चाहिए, कम्पनी की अभिरूचि और स्टाइल का प्रतिनिधित्व करने वाली। कम्पनी के प्रोडक्ट और सर्विसेज के मॉडल और विजुअल प्रदर्शित किए जा सकते हैं। जगह की डिजायन ऐसी होनी चाहिए कि रिसेप्शनिस्ट आते और जाते लोगों पर दूर तक नजर रख सके।
2) कांफ्रेंस रूम प्रवेश से आसानी से पहुंच में होनी चाहिए। टॉयलट तक पहुंच सुलभ होनी चाहिए। प्रेजेंटेशन के सामान जैसे स्क्रीन, टीवी, वीडियो मॉनिटर, ब्लैक बोर्ड, फ्लिप चार्ट तारतम्य में लगे होने चाहिए और फर्नीचर इस तरह लगे होने चाहिए कि सदस्य आसानी से कम्यूनिकेट कर सकें। दिवारों और प्रेजेंटेशन के बैकग्राउंड के रंग शान्त और न्यूट्रल प्रकार के होने चाहिए, इससे सामूहिक चर्चा का माहौल बनता है।
3) लाइटिंग डिजाइन को जीवंत बनाती है। लाइटिंग की व्यवस्था में एक संतुलित तड़क-भड़क से नीरसता नहीं रह जाती। इस बात का ध्यान होना चाहिए कि आंखों पर जोर न पड़े। प्रत्येक सीट और जगह के लिए यथासंभव अलग लाइट और स्विच होने से बचत का ध्यान रहेगा।
4) फ्लोरिंग मैटेरियल का चयन संबंधित जगह के काम को ध्यान में रखकर किया जाता है। इसमें टिकाउपन, रंग, लागत और रखरखाव का ध्यान रखा जाता है।
5) स्टोरेज की नई-नई डिवाइस बाजार में हैं। सेल्फ, कपबोर्ड, फाइलिंग कैबिनेट, ड्रावर यूनिट आदि के बारे में निर्णय लेने से पूर्व बाजार में इनके पूरे रेंज को जरूर देखें और ठीक-ठीक अपनी जरूरत के अनुसार चयन करें।

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