Tuesday, 7 July 2015

किचन और वास्तु

वास्तु और फेंगशुई (चीन का वास्तु) दोनों ही शास्त्रों में अनेक टिप्स बताई गई हैं जिनसे हमारा जीवन सुखी और समृद्धिशाली बना रहता है। घर का हमारे भाग्य पर सीधा-सीधा प्रभाव पड़ता है। यदि घर में कोई वास्तु दोष है तो इसकी वजह से घर के सभी सदस्यों को परेशानी उठाना पड़ सकती है।
 
यदि आपके घर के मुख्य दरवाजे से किचन में रखा गैस का चूल्हा दिखता है तो यह अशुभ माना जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार यह एक छोटी सी बात है लेकिन इसके प्रभाव काफी बड़े-बड़े होते हैं। क्योंकि ऐसा होने पर नकारात्मक ऊर्जा अधिक सक्रीय हो जाती है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम हो जाता है। फेंगशुई शास्त्र नकारात्मक और सकारात्मक एनर्जी के सिद्धांतों पर ही कार्य करता है।
 
इसी वजह से घर के मुख्य दरवाजे से यदि किचन में रखा गैस का चूल्हा दिखाई देता है तो चूल्हे का स्थान बदल देना चाहिए। यदि ऐसा संभव ना हो तो किचन में परदा लगाकर रखें।
 
साथ ही किचन के संबंध में कई अन्य मुख्य बातें जो ध्यान रखनी चाहिए-

  • उत्तर दिशा में रसोई और पूर्व दिशा में दरवाजा बंद होने पर भी ऊर्जा असंतुलित हो जाती है।
  • पूर्व का दरवाजा खोल देने और किचन दक्षिण-पूर्व में कर देने से ऊर्जा का प्रवाह नियमित और संतुलित हो जाता है।
  • किचन खुला और हवादार होना चाहिए।

कमरो का निर्माण कैसा हो?

कमरो का निर्माण कैसा हो?

 

कमरों का निर्माण में नाप महत्वपूर्ण होते हैं। उनमें आमने-सामने की दिवारें बिल्कुल एक नाप की हो, उनमें विषमता न हो। 
 
  • कमरों का निर्माण भी सम ही करें। 20-10, 16-10, 10-10, 20-16 आदि विषमता में ना करें जैसे 19-16, 18-11 आदि।

बेडरूम में शयन की क्या स्थिति।
 
  • बेडरूम में सोने की व्यवस्था कुछ इस तरह हो कि सिर दक्षिण मे एवं पांव उत्तर में हो।
  • यदि यह संभव न हो सिराहना पश्चिम में और पैर पूर्व दिशा में हो तो बेहतर होता है। 

रोशनी व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए कि आंखों पर जोर न पड़े। बेड रूम के दरवाजे के पास पलंग स्थापित न करें। इससे कार्य में विफलता पैदा होती है। कम-कम से समान बेड रूम के भीतर रखे।

आरामदायक और साफ़-सुथरा घर

आरामदायक और साफ़-सुथरा घर

 
आज के ज़माने में बनने वाले आधुनिक घर कोल्ड और इमोशनलेस नहीं होते। दिखने में ये घर कोई म्यूजियम या डॉकटर का कलीनिक भी नहीं लगते। सो, आप घर में सकारात्मक बदलाव चाहते हैं, तो ढेर सारी कुर्सियों और भारी पर्दे का तामझाम ख़त्म कर दीजिए। एक शांत, आरामदायक और साफ़-सुथरा घर बनाने के लिए फ़र्नीचर और झाड़-फ़ानूस का इस्तेमाल कम-से-कम करना चाहिए। इससे घर का सौंदर्य बढ़ेगा और मन मस्तिष्क पर भी सकारात्मक असर दिखाई देगा।
 
इन पर ध्यान दें
तरीक़ा: 
ऩशा जटिल नहीं होना चाहिए, ताकि उसे समझने में कोई दि़क़त न हो। साफ़-सफ़ाई और बेहतर रखरखाव की प्राथमिकता होनी चाहिए। वेल्वेट, साटिन, लिनन और सिल्क का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
 
स्लीक: 
रोगन की हुई अलमारी, ऊपरी सतह पर ग्रेनाइट का काम, चिकने पत्थर और स्टेनलेस स्टील का इस्तेमाल।
 
साफ़-सुथरा और व्यवस्थित
मॉडर्न होम में अनावश्यक चीज़ें नहीं मिलतीं। हालांकि कई बार अपनी मनपसंद चीज़ को आसानी से छोड़ना मुश्किल होता है, सो बेहतर होगा कि ऐसी चीज़ों को किसी अलमारी में रख दिया जाए। खुला-खुला और रोशन घर में ढेर सारे शीशे लगाने चाहिए। साफ़ शीशे वाली खिड़कियां हों, तो बढ़िया।
 
घर के अंदर की रोशनी को बेहद सावधानी से प्लेस करना चाहिए। गंदे लटकते तार और भड़कीले झाड़-फ़ानूस जैसी कोई चीज़ नहीं होनी चाहिए। पीछे की ओर जड़ी हुई लाइट, सुंदर लैंप और डीमर्स भी हों, तो अच्छा है।
 
हो जिंदा दिली की बात
घर के इंटीरियर्स में हमेशा नेचुरल, सफ़ेद, मटमैले भूरे रंग का ही चयन करें। कमरे के सामानों का रंग एक-दूसरे से मैच करना चाहिए। ऐसा करने से घर बुझा हुआ महसूस नहीं होगा। ज़ेब्रा प्रिंट का कुशन, एक जीवंत लैंप और जोश से भरी दीवार ही आपके घर के सौंदर्य को कई गुना बढ़ा देगी।
 

जानें वास्तुशास्त्र के साधारण और मूल नियम..

जानें वास्तुशास्त्र के साधारण और मूल नियम..

किसी भी भवन का वास्तु सबसे प्रधान होता है। यही तय करता है कि इस भवन में रहने वालों के क्या दशा-दिशा होगी। इसलिए वास्तु शास्त्र में वर्णित कुछ साधारण नियमों को मानना ही चाहिए। 

वास्तु शास्त्र एक अत्यंत प्रमाणित प्राचीन विद्या है। लेकिन कई बार लाख सावधानी बरतने पर भी किसी भवन में कुछ वास्तु दोष रह जाते हैं। तो प्रस्तुत हैं वास्तु शास्त्र के मूल नियम और सावधानियां जिनका पालन कर सुख-समृद्धि से रहा जा सकता है। 

घर के मुख्य द्वार के सामने देवी-देवताओं के मंदिर नहीं होने चाहिए, न ही घर के पीछे मंदिर की छाया पड़नी चाहिए। 
मुख्य द्वार की चौड़ाई उसकी ऊंचाई की आधी होनी चाहिए। 

घर का मुख्य द्वार और पिछला द्वार एक सीध में कदापि नहीं होने चाहिए। मुख्य द्वार सदा साफ सुथरा रखें। 

मकान बनाते समय हवा एवं धूप का विशेष ध्यान रखना चाहिए। निर्माण इस तरह होना चाहिए कि हवा और धूप सर्दी और गर्मी में आवश्यकता के अनुरूप प्राप्त होती रहें। 

Monday, 6 July 2015

जब बनाएँ अपना घर...

आधुनिक परिप्रेक्ष्य में पृथ्वी, जल, तेज, वायु, आकाश, पंच तत्व को अपने भवन के अधीन बनाना ही सच्चे अर्थों में वास्तु शास्त्र का रहस्य होता है। नए भवन निर्माण के समय कुछ मुख्य बातों पर ध्यान अवश्य दें :

1. जो प्लॉट त्रिकोण आकार का हो, उस पर निर्माण कराना हानिकारक होता है। 

2.  भवन निर्माण कार्य शुरू करने के पहले अपने आदरणीय विद्वान पंडित से शुभ मुहूर्त निकलवा लेना चाहिए। 

3.  भवन निर्माण में शिलान्यास के समय ध्रुव तारे का स्मरण करके नींव रखें। संध्या काल और मध्य रात्रि में नींव न रखें। 

4.  नए भवन निर्माण में ईंट, पत्थर, मिट्टी ओर लकड़ी नई ही उपयोग करना। एक मकान की निकली सामग्री नए मकान में लगाना हानिकारक होता है। 

5.  भवन का मुख्य द्वार सिर्फ एक होना चाहिए तो उत्तर मुखी सर्वश्रेष्ठ एवं पूर्व मुखी भी अच्छा होता है। मुख्य द्वार की चौखट चार लकड़ी की एवं दरवाजा दो पल्लों का होना चाहिए।

बेड रूम के लिए वास्तु टिप्स

 बेड रूम (शयन कक्ष) के स्थान और सामान के लिए वास्तु टिप्स|
बेडरूम आपका वह स्थान जहां आप  अपना सबसे ज्यादा समय बिताते हें| पुरे दिन काम करने के बाद यह स्थान आपके शरीर और दिमाग को आराम और शांति प्रदान करता है| यहाँ वास्तु शास्त्र के अनुसार शयन कक्ष के स्थान और चीजों के रखरखाव  के लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं |
बेड रूम के लिए उपयुक्त दिशाये:
  • मुख्य  शयन कक्ष, जिसे मास्टर बेडरूम भी कहा जाता हें, घर के दक्षिण पश्चिम या उत्तर पश्चिम की ओर होना चाहिए | अगर घर में एक मकान की ऊपरी मंजिल है तो मास्टर ऊपरी मंजिल मंजिल के दक्षिण पश्चिम कोने में होना चाहिए |
  • बच्चों का कमरा उत्तर – पश्चिम या पश्चिम में होना चाहिए और मेहमानों के लिए कमरा (गेस्ट बेड रूम) उत्तर पश्चिम या उत्तर – पूर्व की ओर होना चाहिए | पूर्व दिशा में बने कमरा  का अविवाहित बच्चों या मेहमानों के सोने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है |
  • उत्तर – पूर्व दिशा में देवी – देवताओं का स्थान है  इसलिए इस दिशा में कोई बेडरूम नहीं  होना चाहिए | उत्तर – पूर्व में  बेडरूम होने से  धन की हानि , काम में रुकावट और बच्चों की शादी में देरी हो सकती  है |
  • दक्षिण – पश्चिम का बेडरूम  स्थिरता और महत्वपूर्ण मुद्दों को हिम्मत से हल करने में सहायता प्रदान करता है |
  • दक्षिण – पूर्व में शयन कक्ष अनिद्रा , चिंता , और वैवाहिक समस्याओं को जन्म देता है | दक्षिण पूर्व दिशा अग्नि कोण हें जो मुखरता और आक्रामक रवैये  से संबंधित  है | शर्मीले  और डरपोक बच्चे इस कमरे का उपयोग करें और विश्वास प्राप्त कर सकते हैं | आक्रामक और क्रोधी स्वभाव के  जो लोग है इस कमरे में ना रहे  |
  • उत्तर – पश्चिम दिशा वायु द्वारा शासित है और आवागमन से  संबंधित  है | इसे विवाह योग्य लड़किया के शयन कक्ष के लिए एक अच्छा माना गया है | यह मेहमानों के शयन कक्ष लिए भी एक अच्छा स्थान है |
  • शयन कक्ष घर के मध्य भाग में नहीं होना चाहिए, घर के मध्य भाग को वास्तु में बर्हमस्थान  कहा जाता है | यह बहुत  सारी ऊर्जा को आकर्षित करता  है जोकि  आराम और नींद के लिए लिए बने शयन कक्ष के लिए उपयुक्त नहीं है |
बेड रूम में रखे सामान के लिए उपयुक स्थान:
  •  सोते समय एक अच्छी नींद के  नंद के लिए सिर पूर्व या दक्षिण की ओर होना  चाहिए |
  • वास्तु के सिद्धांतों के अनुसार, पढ़ने और लिखने की  जगह पूर्व या शयन कक्ष के पश्चिम की ओर होनी चाहिए  | जबकि पढाई करते समय मुख पूर्व दिशा में होना चाहिए |
  • ड्रेसिंग टेबल के साथ दर्पण पूर्व या उत्तर की दीवारों पर तय की जानी चाहिए |
  • अलमारी शयन कक्ष के उत्तर पश्चिमी या दक्षिण की ओर होना चाहिए | टीवी, हीटर और एयर कंडीशनर को दक्षिण पूर्वी के कोने में स्थित होना चाहिए |
  • बेड रूम के साथ लगता बाथरूम, कमरे के पश्चिम या उत्तर में होना चाहिए |
  • दक्षिण – पश्चिम , पश्चिम कोना  कभी खाली नहीं रखा जाना चाहिए|
  • यदि आप कोई सेफ या तिजोरी, बेड रूम में रखना चाहे तो उसे दक्षिण कि दिवार के साथ रख सकते हें, खुलते समय उसका मुंह धन की दिशा, उत्तर की तरफ खुलना चाहिए|

वास्तु के अनुसार ऑफिस की सज्जा

आज की जीवन शैली में हमारे दिन का सबसे बड़ा हिस्सा ऑफिस में बीतता है। ऑफिस के वातावरण और संबंधों का हमारे जीवन की गुणवत्ता पर गहरा प्रभाव पड़ता है। ऑफिस की सज्जा और वास्तु का बहुत महत्व है। इसका हमारी कार्यक्षमता, खुशी और सामान्य स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है।ऑफिस की सज्जा की योजना बनाते वक्त स्वयं की अभिरुचियों के साथ ग्राहक की कार्यात्मक और सौन्दर्यात्मक जरूरतों, उपलब्ध जगह की संभावनाओं का ध्यान रखना पड़ता है। ऑफिस में लोगों के बैठने फर्नीचर आलमारी आदि बेडरूम और पैंट्री की जगहें, और उन सभी जगहों के बीच सुलभ आवाजाही के लिए और सीढ़ियों और आग से सुरक्षा के स्थान तक पहुंचने की पर्याप्त जगह होनी चाहिए। ऑफिस की सज्जा के लिए हमेशा लम्बी अवधि की योजना बनानी चाहिए, भले वर्तमान में उस योजना के एक छोटे हिस्से को लागू करना हो, जैसे-जैसे जरूरत और फंड बढ़े। मास्टर प्लान ऐसी होनी चाहिए कि आज जो भी नई चीज आप लगाएं उसे तब भी हटाना न पड़े जब आप ऑफिस बढ़ाएं।ऑफिस के अलग-अलग घटकों के बारे में अगर हम मूलभूत सिद्धांतों का ध्यान रखें तो मास्टर प्लान की परिकल्पना करने में मदद मिलेगी।
1) ग्राहक पर सबसे पहले रिसेप्शन की जगह का प्रभाव पड़ता है। सज्जा अच्छी होनी चाहिए, कम्पनी की अभिरूचि और स्टाइल का प्रतिनिधित्व करने वाली। कम्पनी के प्रोडक्ट और सर्विसेज के मॉडल और विजुअल प्रदर्शित किए जा सकते हैं। जगह की डिजायन ऐसी होनी चाहिए कि रिसेप्शनिस्ट आते और जाते लोगों पर दूर तक नजर रख सके।
2) कांफ्रेंस रूम प्रवेश से आसानी से पहुंच में होनी चाहिए। टॉयलट तक पहुंच सुलभ होनी चाहिए। प्रेजेंटेशन के सामान जैसे स्क्रीन, टीवी, वीडियो मॉनिटर, ब्लैक बोर्ड, फ्लिप चार्ट तारतम्य में लगे होने चाहिए और फर्नीचर इस तरह लगे होने चाहिए कि सदस्य आसानी से कम्यूनिकेट कर सकें। दिवारों और प्रेजेंटेशन के बैकग्राउंड के रंग शान्त और न्यूट्रल प्रकार के होने चाहिए, इससे सामूहिक चर्चा का माहौल बनता है।
3) लाइटिंग डिजाइन को जीवंत बनाती है। लाइटिंग की व्यवस्था में एक संतुलित तड़क-भड़क से नीरसता नहीं रह जाती। इस बात का ध्यान होना चाहिए कि आंखों पर जोर न पड़े। प्रत्येक सीट और जगह के लिए यथासंभव अलग लाइट और स्विच होने से बचत का ध्यान रहेगा।
4) फ्लोरिंग मैटेरियल का चयन संबंधित जगह के काम को ध्यान में रखकर किया जाता है। इसमें टिकाउपन, रंग, लागत और रखरखाव का ध्यान रखा जाता है।
5) स्टोरेज की नई-नई डिवाइस बाजार में हैं। सेल्फ, कपबोर्ड, फाइलिंग कैबिनेट, ड्रावर यूनिट आदि के बारे में निर्णय लेने से पूर्व बाजार में इनके पूरे रेंज को जरूर देखें और ठीक-ठीक अपनी जरूरत के अनुसार चयन करें।